न्यूयॉर्क। सोशल मीडिया एप्स को लोगों की सुविधा के लिए बनाया गया था। वॉट्सएप, फेसबुक और इंस्टाग्राम में कई सारे ऐसे फीचर्स है जो यूजर्स को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करा रहे है। लेकिन इन धीरे-धीरे सोशल मीडिया का उपयोग फर्जी खबरों की तरफ रूख कर रहा है। सुबह से शाम तक इन पर कई ऐसे मैसेज आते है जो किसी जाति या समाज से जुड़े होते हैं। इनसे समाज में दंगे-फसाद फैल रहे है। इन पर रोक लगाने के लिए प्रयास भी शुरू कर दिए गए है।
सोशल मीडिया साइट फ़ेसबुक ने कहा है कि वह फर्जी खबरों एवं झूठी सूचनाओं को हटाने की शुरुआत करेगा। भारत समेत दुनिया के कई देशों में फ़ेसबुक पर प्रसारित झूठी और भ्रामक सामग्री के कारण हिंसा फैलने के बाद हो रही आलोचनाओं को देखते हुए सोशल साइट ने यह कदम उठाने का फैसला किया है। फ़ेसबुक अभी सिर्फ उन सामग्रियों को प्रतिबंधित करता है जिनमें प्रत्यक्ष तौर पर हिंसा की अपील होती है। नए नियमों के तहत उन फर्जी खबरों एवं तस्वीरों को भी प्रतिबंधित किया जाएगा जो हिसा भड़का सकते हैं।
फ़ेसबुक के ऊपर आरोप है कि वह भारत समेत श्रीलंका एवं म्यामां में हिंसा भड़काने में मददगार रहा है। इसके बाद फ़ेसबुक को भारी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। कंपनी ने रिपोर्ट में कहा कि वह स्थानीय संगठनों के साथ मिलकर इस तरह की श्रेणी में आने वाले पोस्टों की पहचान कर रहा है। यदि किसी संगठन् के साथ काम कर उचित परिणाम नहीं मिला तो किसी अन्य संगठन की मदद लेगी। कंपनी के एक प्रवक्ता ने कहा , '' गलत सूचनाओं की कई श्रेणियां हैं जो हिंसा भड़का रही हैं और हम नियमों में बदलाव कर रहे हैं जिससे हम ऐसी सामग्रियों को हटाने में सक्षम हो सकेंगे। उसने कहा , '' हम आने वाले महीनों में नीति का क्रियान्वयन शुरू कर देंगे। इनपु एजेंसी से भी
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