कंपनी के मुताबिक, यह काम तथ्य जांच करने वाले लोगों का है। जुकरबर्ग का मानना है कि ‘डीपफेक’ वीडियो बिल्कुल अगल श्रेणी की चीज है और इसे फर्जी जानकारी देने वाले वीडियो की श्रेणी से अलग रखा जाना चाहिए।
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